एक युवा मेरे पास आया और बोला,” एक अनजाना सा भय हर पल मेरा पीछा करता रहता है, एक बेचैनी सी रहती है. क्या करूं, समझ नहीं आ रहा है.”
मैं ने कहा,” तुम सचमुच भय से छुटकारा चाहते हो?”
“हाँ”, उसने कहा.
“तुम खुद को साथ में रखो, भय दूर चला जाएगा.”
“आप की बात समझ नहीं आयी”
“भय का कारण – अपने आप से दूर जाना होता है, जैसे ही तुम स्वयं के करीब आओगे, भय तुमसे दूर चला जाएगा. जब आप अकेले होते हैं तो सब से कम अकेले होते हैं, कभी आँखें मूंद चुपचाप बैठे हो, थोड़ी देर ”
“जैसे ही आँखें बंद करता हूँ, परेशानी और बढ़ जाती है”
“क्योंकि खुद के साथ रहने की आदत अब रही नहीं, तुम्हारी ! भय को तुम अपनी ओर आकर्षित कर रहे हो, इसी कारण भय तुम्हारा पीछा कर रहा है. whatsapp एक बहुत ही अच्छा माध्यम है लेकिन उसको हमने “व्हाट अन ऐब” बना लिया है. खाना खाते वक़्त हम खाते कम और टीवी ज्यादा देखते हैं, इस प्रक्रिया में खाना ज्यादा खा लेते है, हम अपने शरीर से विकारों को दूर करना चाहते हैं, और जब हम वाशरूम में होते हैं तब भी फ़ोन पर लग जाते है, लगता कुछ ऐसा है कि हम दुनिया के सब से महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, अगर फ़ोन नहीं उठाया तो सूरज घूमना बंद कर देगा, धरती माता परेशान हो जायेंगी. भय और चिंता कोई बुरी चीज नहीं है, एक उचित मात्रा में भय और चिंता का निवास, एक सांसारिक वयक्ति के तन में होना चाहिए.” ये हमे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है, शक्ति देता है. यही चिंता और भय की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है, तो पतन के मार्ग की ओर भी ले जाता है”
“इस भय और चिंता की मात्रा को कैसे कम करूं?”
“खेलना शुरू करो, संगीत अच्छा लगता है तो संगीत सुनो. बाकि बाद में बताऊंगा, तुम्हे बुद्धत्व की प्राप्ति नहीं करनी है, तुम्हे सामान्य मानव भी बने रहना है.
One reply on “चिंता”
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
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