सुबह उठने के बाद, सबसे पहले क्या करना चाहिए? यह एक ऐसा प्र्श्न था, जिसका उत्तर मैं काफी दिनों से तलाश रहा था. मेरे लिए यह एक गंभीर प्रश्न था, जो एक अरसे से अनुत्तरित था. इंटरनेट खंगाला, मित्रों से पूछा, बाबाओं को सुना, पर उत्तर नहीं मिला जो मुझे संतुष्ट कर सके और मैं यायावर की तरह, अर्थात मेरा मन, इस प्रश्न के उत्तर में भटकता रहा.
मैं सोचता था, सुबह उठने के बाद —
- ध्यान करना चाहिए
- पूरे दिन की दिनचर्या निर्धारित करनी चाहिए
- प्राणायाम करना चाहिए
- गरम पानी पीना चाहिए, आदि आदि
इनमे से कोई भी मेरे इस चिरंतन प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता, सुबह उठने के बाद क्या करना चाहिए, कहीं सुना ईश्वर को धन्यवाद करना चाहिए, कहीं सुना – योग प्राणायाम करना चाहिए।
मेरा काफी वक़्त जाया हो चुका था,इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में,मेरे मित्र जो करीबी हैं, वो जानते हैं, कि सुबह मैं जल्दी उठ जाता हूँ, वो पूछा करते थे,” फिर करते क्या हो?” मैं संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाता था इस प्रश्न का उनको .
अब मुझे लगता है कि मैंने इस प्रश्न का उत्तर तलाश लिया और इसे आप मित्रों तक शेयर करना चाहिए, इसे आप मेरी बकबक कह सकते हैं, शायद मेरी ये बकबक आपको अच्छी लगे।
जब आप सुबह उठते हैं, तो सबसे पहले आपको जग जाना चाहिए। आप उठ तो गए, पर आप जग भी गए क्या !
उठने से जगने तक की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण होती है, जब आप उठते हैं, तो आप तंद्रिल अवस्था में होते हैं, चैतन्य नहीं होते है, तो तंद्रिल से चैतन्य में आने की प्रक्रिया ही जगना है, इस प्रक्रिया में कम से कम समय लगना चाहिए। यह प्रक्रिया स्वतः स्फूर्त हो सकती है या तो प्रयासजन्य, जो कुछ भी हो पर इस प्रक्रिया में कम से कम समय लगना चाहिए।
अब आपको ये निर्धारित करना है – जागने से जगने तक की प्रक्रिया के लिए क्या -क्या करना चाहिए, अर्थात तंद्रिल से चैतन्य होने के लिए क्या -क्या करना चाहिए।
अगर आप बहुत ही उत्साही है, और ऊर्जा और जोश से भरे हैं, तो जागने से जगने की प्रक्रिया आपके लिए बहुत सरल है, क्योंकि आपकी आँखों में सपने तैर रहे होंगे, और सपने तैरती आँखे सोती कहाँ हैं, तंद्रिल होती कहाँ है, उसे तो बस अपने सपनो की तलाश होती है, अगर आप इस श्रेणी में आते हैं – तो न आव देखिये न ताव, बस लग जाइये अपने सपनों को पूरा करने में, यही होना चाहिए आपका पहला सुबह उठते ही, क्योंकि आपको जगना/जागना नहीं है, क्योंकि आप जगे ही हैं.
- लेखक हैं तो लिखिए
- खिलाड़ी हैं तो प्रैक्टिस कीजिए
- साधु हैं तो ध्यान धारणा कीजिए
- छात्र हैं तो पढ़िए
लेकिन हम में से ज्यादा लोग उपरोक्त अवस्था में नहीं होते हैं, तो हमें उठने के बाद जागना होगा/जगना होगा, उसके लिए क्या करना होगा, ये हमें तै करना होगा, निर्धारित करना होगा।
जैसा हमने कहा कि उठने से जागने/जगने की प्रक्रिया के बीच का वक़्त न्यूनतम होना चाहिए — तंद्रिल अवस्था को दूर भागने के लिए हम —
- थोड़ी सी स्ट्रेचिंग कर लें
- अपने हथेलियों को रगड़ कर आँखों पर रख ले, उसकी ऊष्मा को अनुभव करें
- हलके गुनगुने पानी से अपनी आँखों को धो लें
- थोड़ी सी चहलकदमी कर ले
- थोड़ा सा गुनगुना पानी पी ले
- नित्य क्रियाकर्म कर लें
इन क्रियाओं में ज्यादा वक़्त नहीं लगाना है, कम से कम इन कार्यों का समापण कर हमें चैतन्य हो जाना और एक प्रश्न खुद से करना है – जग तो गए पर जग गए क्या, इसका उत्तर, हमारी चैतन्यता से ही मिल जाएगा
और उसके बाद – कुछ नहीं सोचना है, न आगे देखना और ना पीछे देखना है और लग जाना उस कार्य में जो आप करना चाहते हैं -जो सबसे महत्वपूर्ण हैं आपके लिए, जिसके लिए आप जीना और मरना चाहते हैं, और अब आप जीवन के कुछ घंटे निर्बाध अपने लक्ष्य को दीजिए (साथ में गुनगुना पानी, थोड़े से बादाम और गुड़ रख लीजिये और जैसे ऊर्जा की कमी महसूस हो, इनका सेवन कर लीजिये)
ऐसा करके आप मन को जीत लेते हैं और मन के जीते जीत है और मन के हारे हार.
अंततः मैं ये कहना चाहता हूँ – सुबह उठते ही जाइये और सरपट दौड़ लगा दीजिये, सपनों को जमीनी हकीकत बनाने के लिए, सफलता बांह पसारे बैठी है, अब देर किस बात की.
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मुकुल की बकबक में आज इतना ही.
अगली कड़ी में –
- क्या फल की चिंता नहीं करनी चाहिए ??
- सुबह जल्दी कैसे उठें ?
- क्या करें सफलता के लिए ??
- सोने से पहले क्या करें ??